देखती होगी जब भी दर्पण खुद पे इतराती तो होगी ...
महबूब की बाहों में समाने को ये जवानी बल खाती तो होगी ...
ख्वाब में ही सही मुझसे मिलने पर ये नज़रें चुराती तो होगी ...
तेरा दीवाना है सोच के मन ही मन तुम मुस्कुराती तो होगी ..
मधुर
अपने दिल का हाल किस्से कहूँ ये सोच के कसमसाती तो होगी ...
कुछ ऐसा ही हाल है इधर जब से तूने इस दिल को धड्काया है ...
सागर में भी था प्यासा इस बात का ये एहसास मुझे कराया है ...
है इश्क आग का एक दरिया तो उस पर तेरे प्यार को बसाया है ..
जानता हूँ तू सुबह की मखमली धूप और मुझपर रात का साया है ..
जल जाऊँगा इस इश्क की आग में क्योंकि इसे तूने जो लगाया है ...
हुस्न की आग और इश्क के परवाने की ये मोहब्बत तेरे सदके फ़रमाया है ...
क्योंकि तेरे दिल की आहट
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