talli hoke girne se samjhi hamne gravity
ishq ka practical kiya tab aayi clearity
na koi padhne wala na koi sikhne wala
naata yeh sannata hai dekho lambu shor hain
har dil mein bud bud karta h2so4 hain
na koi padhne wala na koi sikhnewala
apni toh paathshala masti ki paathshala
सोमवार, 13 जुलाई 2009
मस्ती की पाठशाला
प्रस्तुतकर्ता NEEL RATAN TEWARI पर 1:39 pm 5 टिप्पणियाँ
बुधवार, 8 जुलाई 2009
DIL DOSTI etc.
कि वक़्त के फैसले पर अफ़सोस हो जाये
क्या पता कल तुम लौटकर आओ
और हम खामोश हो जाएँ
दूरियों से फर्क पड़ता नहीं
बात तो दिलों कि नज़दीकियों से होती है
दोस्ती तो कुछ आप जैसो से है
वरना मुलाकात तो जाने कितनों से होती है
दिल से खेलना हमे आता नहीं
इसलिये इश्क की बाजी हम हार गए
शायद मेरी जिन्दगी से बहुत प्यार था उन्हें
इसलिये मुझे जिंदा ही मार गए
मना लूँगा आपको रुठकर तो देखो,
जोड़ लूँगा आपको टूटकर तो देखो।
नादाँ हूँ पर इतना भी नहीं ,
थाम लूँगा आपको छूट कर तो देखो।
लोग मोहब्बत को खुदा का नाम देते है,
कोई करता है तो इल्जाम देते है।
कहते है पत्थर दिल रोया नही करते,
और पत्थर के रोने को झरने का नाम देते है।
भीगी आँखों से मुस्कराने में मज़ा और है,
हसते हँसते पलके भीगने में मज़ा और है,
बात कहके तो कोई भी समझलेता है,
पर खामोशी कोई समझे तो मज़ा और है...!
मुस्कराना ही ख़ुशी नहीं होती,
उम्र बिताना ही ज़िन्दगी नहीं होती,
दोस्त को रोज याद करना पड़ता है,
क्योकि दोस्त कहना ही दोस्ती नहीं होती.
प्रस्तुतकर्ता NEEL RATAN TEWARI पर 8:48 pm 1 टिप्पणियाँ
शुक्रवार, 3 जुलाई 2009
mp3(मेरा पहला पहला प्यार)
देखती होगी जब भी दर्पण खुद पे इतराती तो होगी ...
महबूब की बाहों में समाने को ये जवानी बल खाती तो होगी ...
ख्वाब में ही सही मुझसे मिलने पर ये नज़रें चुराती तो होगी ...
तेरा दीवाना है सोच के मन ही मन तुम मुस्कुराती तो होगी ..
मधुर
अपने दिल का हाल किस्से कहूँ ये सोच के कसमसाती तो होगी ...
कुछ ऐसा ही हाल है इधर जब से तूने इस दिल को धड्काया है ...
सागर में भी था प्यासा इस बात का ये एहसास मुझे कराया है ...
है इश्क आग का एक दरिया तो उस पर तेरे प्यार को बसाया है ..
जानता हूँ तू सुबह की मखमली धूप और मुझपर रात का साया है ..
जल जाऊँगा इस इश्क की आग में क्योंकि इसे तूने जो लगाया है ...
हुस्न की आग और इश्क के परवाने की ये मोहब्बत तेरे सदके फ़रमाया है ...
क्योंकि तेरे दिल की आहट
प्रस्तुतकर्ता NEEL RATAN TEWARI पर 1:59 pm 0 टिप्पणियाँ
मंगलवार, 23 जून 2009
इश्क कभी करियो ना
( मत्त पूछ मेरे सब्र की इन्तेहा कहा तक है ? तू सितम कर ले ,तेरी ताक्कत जहा तक है , वफे की उम्मीद जिन्हें होगी ,उन्हें होगी , हमें तो देखना है , तू जालिम कहा तक है ?)
वाह वाह वाह वाह क्या खूब कहा है लाजवाब ! ऐसे ही पंक्तियाँ मैंने अपने माननीय जिगरी मित्र श्री द्विवेदी जी के मुख से सुनी थी चंद दिनों पहले ! हुआ यूँ की हमारे माननीय मित्र जी को चंद दिनों पहले प्यार हो गया हाँ भैएया प्यार वही जो अक्सर हिंदी फिल्मों में होता है हीरो को हेरोइन से ! अब बात यूँ है की हमारे मित्र जी उस टाइप के हैं नहीं मतलब हमारी (लेखक ) तरह भाई हम तो ठहरे किसन कन्हैया पर हमारे मित्र जी के आदर्श (प्रभु श्री राम चन्द्र जी) वो थोडा आदर्श वादी थोडा शर्मीले परन्तु उग्र स्वाभाव के है और भैएया हम कसम खा के कहे रहे हैं की उन्होंने किसी कन्या की तरफ जल्दी आंख भी न उठा के देखी हाँ ये अलग बात है की कई कन्याओं ने उनकी तरफ आंख उठाया (प्यार का इजहार {propose} किया पर नाकाम हुई ! अब आप ये सोच रहे होंगे की फिर आखिर ये घटना(प्यार ) घटी कैसे ! राज की बात बताऊँ तो दूबे जी को भी नहीं पता चला की ये कैसे हो गया ! अब प्यार हुआ तो थोडी महक उठी कहते हैं ना की इश्क और मुश्क छुपाये नहीं छुपते ! बस उस इसक की खुसबू हमारे (लेखक) और हमारे एक और मित्र माननीय श्री भट्टाचार्य जी (हमारी ही तरह किशन कन्हैया हैं) की नाकों तक पंहुच गई बस फिर क्या था वही ठिठोली का हो भैय्या के है हमहू का बतावा और फिर दुबे जी का शर्मा के कहना नहीं हो मरदे कौनो बात ऐसन नाइ है लेकिन कब तक दूबे जी हमारी ठिठोलियों से बच पते और आखिर कर राज खुला की वह खुसनसीब उन्ही के ऑफिस की थी ! फिर क्या जब आदमी प्यार में पड़ता है न तो उसकी जिंदगी रंगीन (हरा रंग * ) हो जाती है हरियाली छा जाती है ! फिर क्या दूबे जी का देर से अड्डे पे आना अरे भईया जुआ नहीं चाए के (सुनील टी स्टाल ) हमेशा मुस्कुराना फ़ोन पे थोडा दूर जा कर बातें करना !दिन गुजरते गए ! ये़काएक एक दिन दूबे जी आए और कहा मित्र क्या मैं मोटरसाइकिल धीमे चलता हूँ मैंने कहा कभी आप से रस लगाई नहीं तो कैसे बता दूं मैंने चुटकी लेते हुए पूछा की क्या कोई स्कूटी वाली आगे निकल गई फिर उन्होंने रहस्ययोदघाटन किया की उसने (नाम नहीं लूँगा )कहा की मैं बहूत धीमे चलाता हूँ (बाइक) ! मैंने कहा भैय्या जान जोखिम में डालने की जर्रूरत नहीं है जान है तो जहान है अब भैएया आप ही बताएँ क्या मैंने गलत कहा ! दिन गुजरते गए ! फिर एक दिन शाम को पंहुचे मेरे बगल में आकर खड़े हो गए कभी अपने आप को देखते कभी मुझे देखते मैं पूंछ बैठा भैय्या बात क्या है कहीं हमरे दू ठो सींघ तो नहीं उग आयी ! कहने लगे क्या मैं देखने में कद से छोटा हूँ ऐसा उसने (नाम नहीं लूँगा ) कहा मैंने कहा काहे आठवां अजूबा बनना है का लम्बे होके अब आप ही बताएं 5फुट 9इंच लम्बाई है और क्या चाहिए ! मैंने पूंछा लड़की है या कोमेनटेअटर हमेशा कमेन्ट करती रहती है ! खैर कुछ दिन बीते एक शाम मैंने और भट्ट जी ने देखा कि दूबे जी के हाथों में बड़ा सा दूध का पाउच (अमूल गोल्ड ) हम पूँछ बैठे भैएया कबसे हाय रे वो सर्मीली मुस्कान जो दूबे जी के चेहरे पे आयी मुस्कुराते हुए कहा उनके (नाम नहीं लूँगा ) लिए है फिर हमारी और भट्ट जी की ठिठोलियाँ शुरू का हो मरदे दूध पिलावत बाटा अरे थोडा हमनो के स्वाद चखा दा दूबे जी तत्काल वहां से निकल लिए दूध का पैकेट हाथ में लेके ! कहा जाता है की प्यार कोई खेल नहीं दूबे जी ने भी खूब मसक्कतें की और आखिर एक दिन प्यार का इजहार कर ही दिया लेकिन विडंबना देखिये की उसने (नाम नहीं लूँगा ) बताया की मेरा पहले से ही एक पुरुष मित्र है सोचिये क्या गुजरी होगी दूबे जी पर कसम से मैं होता तो दहाडें मारता हुआ वहीँ विछिप्त हो जाता खैर दूबे जी मजबूत दिल के आदमी उन्होंने अपने आप को सम्हाल लिया और फैसला किया की मैं इसका प्यार पा के रहूँगा ! दिन गुजरते गए ! फिर एक दिन शाम को दूबे जी आए और मुझसे पूँछ बैठे की भईया ये स्टआपी क्या होती है मैं चौंक गया मैंने पूंछा मालिक इ का इ शब्द दिमाग माँ कैसे आइल बताने लगे की आज वो (नाम नहीं लूँगा ) कहने लगी की मेरा पुरुष मित्र मुझे मोटरसाइकिल पर बैठा कर यही करतब करता था तत्काल मैंने समझाया की भैएया ये मोटरसाइकिल की वो करतबबाजी है जो अक्सर मनुष्य मानसिक रूप से विछिप्त हो जाने के बाद करता है इसमें मोटरसाइकिल का अग्र भाग नीचे और पश्चा भाग ऊपर होता है इतना कहना ही था की दूबे जी को पसीने छूट गए कहने लगे भगवान् ने बचाया आज ! दिन बीतते गए दूबे जी रंगीन होते गए लेकिन कहते हैं ना की किसके दिल में क्या छुपा है कोई नहीं जानता ! दूबे जी उसपे जान छिड़कते घर पंहुचाते , दूध पिलाते उन्हें क्या पता की वो उनका फायदा उठा रही है उनके भावनाओ से खेल रही है कहते हैं की प्यार आदमी को अँधा कर देता है ! दिन बीतते गए एक दिन दूबे जी गरम दूध की तरह उबलते हुए आए हम पूँछ बैठे का भइल मरदे एयका एक दूबे जी बोल पड़े की बहुत किया सम्मान ..............................
(
प्रस्तुतकर्ता NEEL RATAN TEWARI पर 5:40 pm 4 टिप्पणियाँ
रविवार, 21 जून 2009
सपनो की है दुनिया मेरी
मैं और मेरी तन्हाईयाँ अक्सर ये बातें करती है कि मैं मिस्टर बोंड होता तो ऐसा होता मैं बिल्ला होता तो वैसा होता ! ये किसी विभाग के पद नहीं हैं और न ही राजनीती के कोई राजनीतिज्ञ ये फिल्मो के वो महान किरदारों के नाम हैं जिनसे मैं प्रभावित हूँ ! हाँ मैं (राय जेम्स राय ) नाम तो सुना होगा मेरी सपनो कि दुनिया में मैं इसी नाम से जाना जाता हूँ ! सभी सपने देखते हैं और जाहिर सी बात है कि मैं भी इस से अछूता नहीं हूँ ! मैं अपने सपनो कि दुनिया का बेताज बादशाह हूँ ! हर किरदार में ढ़लना मुझे बखूबी आता है पर किरदार दमदार हो वो अकेला सैकडों पे भारी हो और बीमारी में महामारी हो ! मैं सपनो में अक्सर ऐसे किरदार का चुनाव करता हूँ जो लम्बे को़ट और गोल हैट लगाता हो मेरी माने तो ऐसे वस्त्रों की शान ही कुछ और है जींस और टी-शर्ट में वो बात कहाँ ! हर सपने में मैं अकेला ही सैकडों पे भारी पड़ता हूँ ! सपनो में मेरा बड़ा सा घर पन्द्रह बीस गाडियां हथियारों से लैश सैकडों आदमी पर मेरा कमरा भूमिगत होता है सामने गोल मे़ज और हमेशा दरवाजे की तरफ पीठ और वही वस्त्र जिसका जिक्र मैंने पिछले लाइन में किया है धारण किये बैठा होता हूँ और हाथ में सिगरेट (नोट -पब्लिक प्लेस पे सिगरेट पीने की आज्ञा नहीं है इसी लिए लेखक सपनो की दुनिया में भी एकान्ता में ही कश् मारता है) ! मैं हमेशा ऐशे मिशन पे जाता हूँ जो असंभव हो और ऐसे राष्ट्र में जिसका नाम केवल सपनो में सुना हो ! और एक्शन ऐसा की रोंगटे खड़े कर दे वैसे एक्शन के द्रिश्य का चुनाव मैं हमेशा संजू बाबा (संजय दत्त ) की फिल्मों से करता हूँ और हमेशा अपने दुश्मन को कड़ी से कड़ी सजा देता हूँ जैसे की नेशनल हाईवे के एक तरफ मैं होता हूँ और दूसरी तरफ से उसे आँखों में पट्टी बांध कर दौड़ा दिया जाता है और बीच में १०० की रफ्तार से आते जाते वाहन सोचिये जरा रोंगटे खड़े हो जायेंगे ! मैं अक्सर सपनो में हथियारों का चुनाव जेम्स बोंड की फिल्मों से करता हूँ जैसे की घडी , माउसर ऐसे कई सारे उपकरण हैं जिन्हें मैं उपयोग में लाता हूँ ! और हर वक़त बैकग्राउंड में यही धुन बजवाता हूँ (जाने क्या होगा रामा रे) ! और हर सपने में मेरी हार्दिक इछा होती है की मार पीट के दौरान पुलिस की तरह देर से पंहुच कर भीड़ को चीरता हुआ उसी लिबास में (लॉन्ग को़ट और गोल हैट) सब कुछ जानते हुए भी ये सवाल करूँ की ये सब क्या हो रहा है ! लेकिन कभी कभी सपनो की दुनिया में जीना बहुत भारी पड़ता है जैसे की पिता जी रात के वक़्त घर आए दरवाजा खटखटाया मैं पूँछ बैठा कोड बताओ बस फिर क्या था वही बैकग्राउंड की धुन बजी( जाने क्या होगा रामा रे ) ! कई बार तो मैं परीक्षा में कोड नंबर 007 लिख आया ! आप को पढ़ के सायद अटपटा लगा हो पर मैं कुछ पंक्तियाँ कहना चाहूँगा की ( सपनो की है दुनिया मेरी: मेरी आँखों से देखो जरा )!!!!!!!!!!!
और आखिर में एक छोटी सी सायरी है सपनो की दुनिया पे की
(सपनो की दुनिया में हम खोते चले गए , होश में थे फिर भी मदहोश होते चले गए ) (जाने क्या बात थी उनके किरदार में , की उन्ही के किरदार में खोते चले गए!!!!!!!!!! )
प्रस्तुतकर्ता NEEL RATAN TEWARI पर 1:48 pm 2 टिप्पणियाँ
प्रस्तुतकर्ता NEEL RATAN TEWARI पर 7:10 am 0 टिप्पणियाँ