रविवार, 21 जून 2009

सपनो की है दुनिया मेरी




मैं और मेरी तन्हाईयाँ अक्सर ये बातें करती है कि मैं मिस्टर बोंड होता तो ऐसा होता मैं बिल्ला होता तो वैसा होता ! ये किसी विभाग के पद नहीं हैं और न ही राजनीती के कोई राजनीतिज्ञ ये फिल्मो के वो महान किरदारों के नाम हैं जिनसे मैं प्रभावित हूँ ! हाँ मैं (राय जेम्स राय ) नाम तो सुना होगा मेरी सपनो कि दुनिया में मैं इसी नाम से जाना जाता हूँ ! सभी सपने देखते हैं और जाहिर सी बात है कि मैं भी इस से अछूता नहीं हूँ ! मैं अपने सपनो कि दुनिया का बेताज बादशाह हूँ ! हर किरदार में ढ़लना मुझे बखूबी आता है पर किरदार दमदार हो वो अकेला सैकडों पे भारी हो और बीमारी में महामारी हो ! मैं सपनो में अक्सर ऐसे किरदार का चुनाव करता हूँ जो लम्बे को़ट और गोल हैट लगाता हो मेरी माने तो ऐसे वस्त्रों की शान ही कुछ और है जींस और टी-शर्ट में वो बात कहाँ ! हर सपने में मैं अकेला ही सैकडों पे भारी पड़ता हूँ ! सपनो में मेरा बड़ा सा घर पन्द्रह बीस गाडियां हथियारों से लैश सैकडों आदमी पर मेरा कमरा भूमिगत होता है सामने गोल मे़ज और हमेशा दरवाजे की तरफ पीठ और वही वस्त्र जिसका जिक्र मैंने पिछले लाइन में किया है धारण किये बैठा होता हूँ और हाथ में सिगरेट (नोट -पब्लिक प्लेस पे सिगरेट पीने की आज्ञा नहीं है इसी लिए लेखक सपनो की दुनिया में भी एकान्ता में ही कश् मारता है) ! मैं हमेशा ऐशे मिशन पे जाता हूँ जो असंभव हो और ऐसे राष्ट्र में जिसका नाम केवल सपनो में सुना हो ! और एक्शन ऐसा की रोंगटे खड़े कर दे वैसे एक्शन के द्रिश्य का चुनाव मैं हमेशा संजू बाबा (संजय दत्त ) की फिल्मों से करता हूँ और हमेशा अपने दुश्मन को कड़ी से कड़ी सजा देता हूँ जैसे की नेशनल हाईवे के एक तरफ मैं होता हूँ और दूसरी तरफ से उसे आँखों में पट्टी बांध कर दौड़ा दिया जाता है और बीच में १०० की रफ्तार से आते जाते वाहन सोचिये जरा रोंगटे खड़े हो जायेंगे ! मैं अक्सर सपनो में हथियारों का चुनाव जेम्स बोंड की फिल्मों से करता हूँ जैसे की घडी , माउसर ऐसे कई सारे उपकरण हैं जिन्हें मैं उपयोग में लाता हूँ ! और हर वक़त बैकग्राउंड में यही धुन बजवाता हूँ (जाने क्या होगा रामा रे) ! और हर सपने में मेरी हार्दिक इछा होती है की मार पीट के दौरान पुलिस की तरह देर से पंहुच कर भीड़ को चीरता हुआ उसी लिबास में (लॉन्ग को़ट और गोल हैट) सब कुछ जानते हुए भी ये सवाल करूँ की ये सब क्या हो रहा है ! लेकिन कभी कभी सपनो की दुनिया में जीना बहुत भारी पड़ता है जैसे की पिता जी रात के वक़्त घर आए दरवाजा खटखटाया मैं पूँछ बैठा कोड बताओ बस फिर क्या था वही बैकग्राउंड की धुन बजी( जाने क्या होगा रामा रे ) ! कई बार तो मैं परीक्षा में कोड नंबर 007 लिख आया ! आप को पढ़ के सायद अटपटा लगा हो पर मैं कुछ पंक्तियाँ कहना चाहूँगा की ( सपनो की है दुनिया मेरी: मेरी आँखों से देखो जरा )!!!!!!!!!!!

और आखिर में एक छोटी सी सायरी है सपनो की दुनिया पे की
(सपनो की दुनिया में हम खोते चले गए , होश में थे फिर भी मदहोश होते चले गए ) (जाने क्या बात थी उनके किरदार में , की उन्ही के किरदार में खोते चले गए!!!!!!!!!! )

2 टिप्पणियाँ:

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

स्वागत है. शुभकामनायें.

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर ने कहा…

papa to sabhi ke yahi kahate hain.narayan narayan